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हर्बल कलर से होली खेलेगी काशी, फूल और सब्जियों से रंग बना रहीं महिलाएं, जानिये कैसे बनता है यह कलर











काशी में यहीं पर बनी हर्बल कलर से होली खेलते लोग दिखाई देंगे। काशी की महिलाएं फूलों और सब्जियों से होली के लिए हर्बल कलर बनाने में जुटी हैं। फूलों की खेती करने वाली ये महिलाएं वैसे तो माला और गजरे बनाती हैं, लेकिन इस बार यह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत स्वयं सहायता समूह बनाकर फूलों और सब्जियों से हर्बल रंग और गुलाल बना रही हैं। दीनापुर गांव के राजभर बस्ती की महिलाएं घरेलू कामकाज के साथ हर्बल कलर बनाकर आर्थिक स्वावलंबन का रंग भी चटख कर रही हैं। 


होली पर बाजार में रंगों और खाने-पीने के सामानों में मिलावट की शिकायतें रहती हैं। वहीं ये महिलाएं प्राकृतिक रूप से कलर बनाकर शुद्धता का पूरा ख्याल रख रही हैं। ये महिलाएं गुलाब, गेंदा के साथ पालक से रंग बनाती हैं। समूह सखी शिमला देवी ने बताया कि होली के रंग बनाने में सभी महिलाएं सहयोग कर रही हैं। बाजार में हमारे रंगों की मांग भी है। फूलों की पत्तियों, पालक से ये रंग बनाए जाते हैं।





चैती गुलाब, हल्का हरा, जोगिया, पीले रंग में होली का रंग तयार किया जा रहा है। समूह में आजिविका सखी किरन, आरती, चिंता देवी, दीपिका, स्मिता भी शामिल हैं। 
डीसी एनआरएलएम एससी केसरवानी ने कहा कि योजना के तहत महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ये प्रयोग किये जा रहे हैं। महिलाएं इनमें रुचि दिखा रही हैं और स्वावलंबन का उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। ब्लॉक मिशन मैनेजर पूजा तिवारी व विनोद कुमार ने बताया कि दीनापुर गांव में ही इन रंगों की बहुत मांग है।


ऐसे बनता है हर्बव कलर


सबसे पहले महिलाएं खतों से फूलों को चुनती हैं। 
आकर्षक दिखने वाले फूलों को पौधों से तोड़ लिया जाता है। 
चुने हुए फूलों की पंखुड़ियों को अलग अलग किया जाता है। 
इन पुंखुड़ियों से कलर अलग करने के लिए गुनगुने पानी में डाला जाता है। 
इससे निकले कलर वाले पानी में आरारोट मिलाया जाता है।
रंग को चटख करने के लिए थोड़ी हल्दी मिलाई जाती है।
फिर छानने के बाद कुछ देर तक धूप में सुखाया जाता है
इसके बाद स्मूथ करने के लिए इसे छान लिया जाता है।
छानने के बाद खूशबू के लिए थोड़ा इत्र मिलाया जाता है।
इसके बाद इसकी पैकिंग करके बाजारों में भेज दी जाती है।














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